22 November 2024 23:01

maharashtra muslim politicians: महाराष्ट्र की विधान परिषद के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि इसमें कोई मुसलमान नहीं होगा। 1937 से महाराष्ट्र में दो सदनों वाली विधायिका है, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि विधान परिषद में एक भी मुस्लिम प्रतिनिधि न हो। 

वर्तमान मुस्लिम प्रतिनिधि

वर्तमान में कांग्रेस के वजाहत मिर्जा और एनसीपी (शरद पवार) के अब्दुल्ला खान दुर्रानी दो मुस्लिम विधान पार्षद हैं। इनका कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। इसके बाद महाराष्ट्र विधान परिषद में एक भी मुस्लिम प्रतिनिधि नहीं रहेगा। 

नए चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार नहीं

शुक्रवार को होने वाले काउंसिल चुनाव के लिए किसी मुस्लिम उम्मीदवार का नाम नहीं दिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि विधान परिषद में अब कोई मुस्लिम प्रतिनिधि नहीं होगा।

Lok Sabha Election में भी नहीं जीता कोई मुस्लिम उम्मीदवार

हाल में हुए लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से किसी पर भी कोई मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया। विपक्षी इंडिया ब्लॉक या महा विकास अघाड़ी ने भी किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया था, जिससे कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं में नाराजगी थी।

विधानसभा में कम प्रतिनिधित्व

महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। 2019 में सिर्फ 10 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, जबकि महाराष्ट्र में मुस्लिम आबादी 1.30 करोड़ से अधिक है, जो करीब 12% है। विधानसभा, विधान परिषद और लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है।

मुस्लिम नेताओं की मांग

अब मुस्लिम नेताओं ने एमवीए से यह सुनिश्चित करने की मांग शुरू कर दी है कि विधान परिषद के अगले चुनाव में मुसलमानों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले। समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एसपी) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को चिट्ठी लिखी है।

AIMIM की ओर झुकाव

रईस शेख का कहना है कि महाराष्ट्र के 567 सांसदों में से केवल 15 (2.5%) मुस्लिम समुदाय से हैं। मुसलमानों को प्रतिनिधित्व न देकर एमवीए उन्हें एआईएमआईएम जैसी पार्टियों की ओर भेजने का जोखिम उठा रहा है, जो मुसलमानों का ध्रुवीकरण करती हैं।

भाजपा के डर से  नहीं दे रहे टिकट 

राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां महाराष्ट्र में मुसलमानों को टिकट देने से इसलिए परहेज कर रही हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे बीजेपी को फायदा हो सकता है। उन्हें मुसलमानों को टिकट देने पर भाजपा और सहयोगियों के पक्ष में बहुसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण का भय है।

मुस्लिम वोट चाहिए, लेकिन उम्मीदवार नहीं

लोकसभा चुनावों में जब इंडिया ब्लॉक ने मुस्लिम उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया था, तब वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर ने कहा था, ‘अगर उन्हें बीजेपी की तरह मुसलमानों को बाहर रखना है तो फिर दोनों में अंतर क्या है?… महा विकास आघाड़ी को मुस्लिम वोट चाहिए, लेकिन मुस्लिम उम्मीदवार नहीं।’

 

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